Sarfaraz

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लेखनी कहानी -11-Feb-2022ग़ज़ल

🌹🌹🌹* ग़ज़ल * 🌹🌹🌹

ह़रीफ़ों    'की    नवाज़िश   हो  'रही  है।
मिरे   ग़म   की   'नुमाइश    हो  रही  है।

ग़म - ए - दुनिया  'रुलाते  हैं 'मुसलसल।
मगर   'हँसने  'की  काविश  हो  रही 'है।

मुहब्बत  नाम  को   जिसमें   नहीं  अब।
उसी   'घर   में   रिहाइश   'हो   रही  'है।

दुआ़ओं  का  असर  है  यह  किसी' की।
मिरे   ग़म  'में  जो  काहिश  हो  रही  है।

मैं   जितना  'जल  रहा  हूँ  जान  उतनी।
तिरी   मेह़फ़िल  'परी  विश  हो  रही  है।

यह कौन आया 'है दिल की अन्जुमन'में।
बू - ए  अतयब  की  बारिश  हो  रही  है।

जो  'सुनता   ही 'नहीं  दिल  की  सदाएँ।
उसी   'बुत   की  'परस्तिश  'हो  रही  है।

जिधर 'देखो 'फ़राज़' अब फोन पर बस।
वजीहों     की   'सताइश   हो   रही   है।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उ.प्र.

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7 Comments

asma saba khwaj

14-Feb-2022 02:59 PM

बहुत खूब

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Abhinav ji

11-Feb-2022 11:39 PM

Very nice

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Sarfaraz

11-Feb-2022 10:38 PM

Shukriya

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